panchatantra tales in hindi with moral and five best Panchatantra hindi story | पाँच बेहतरीन पंचतंत्र हिंदी कहानी

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हम आपके लिए कुछ चुनिन्दा Panchatantra tales in hindi with moral लेकर ए है जो आपके आलस से भरे दिन में एक नया रंग और उत्साह भर देगा। यह वह कहानिया है जिन्हे panchtantra ki story में से सबसे ज्यादा पसंद करि जाने वाली panchtantra tales in hindi है। पाना कीमती समय इन कीमती moral kahaniyo में लगाए और समय का सही उपयोग करे।

1. गधा और शेर की खाल

panchatantra tales in hindi with moral
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एक जंगल में एक गधा रहता था, वह बहुत ही कमजोर और डरपोक गधा था। जंगल के सभी जंगली जानवर उसको चिढ़ाते और मरते थे।

इन सब से गधा बहुत दुखी हो गया था और एक दिन अकेला दूर जंगल में निकल गया। जंगल में वह एक शेर की गुफा के पास जा पहुंचा। उसने देखा की गुफा के बाहर एक शेर था जिसे देख वह बहुत डर गया।

उस गधे को लगा अब वह शेर उसको खा जायगा, तभी उसने गधे से माफ़ी मांगने लगा और कहा “शेर महाराज आप मुझे माफ़ कर दो, में तो एक बहुत कमजोर गधा हु। मुझे मार कर आपका पेट भी नहीं भरेगा।”

गधे के इतना कहने के बाद भी शेर अपनी जगह से हिला तक नहीं। गधा जब पास गया तो उसने देखा की वह तो केवल एक शेर की खाल है। गधे की जान में जान आई और गधा खुश हो गया। तभी उसके दिमाग में एक सुझाव आया “यदि में यह शेर के खाल पेहेन लूँ तो में शेर जैसा बन जाऊंगा।”

उसने वह खाल पेहेन ली और गधा जैसा दिखने लगा। वह शेर की खाल पहनकर अपने घर की और निकल पड़ा। जंगल में सभी जानवर को वह परेशान करने लगा और फिर उसने जोश-जोश में शेर की आवाज में दहाड़ने की कोसिस करने लगा। लेकिन वह ये भूल गया था की वह गधा हे और जैसे ही उसने दहाड़ा तो उसके मुँह से गधे की आवाज निकली। जंगल के सभी जानवर समझ गए और उसको पीट-पीट कर मार डाला।

कहानी का उद्येश्य : कोई किसी की तरह तब तक नहीं बनता जब तक आप उसके गुण और अवगुण को भी नहीं अपनाते।

2. ईमानदार गायं और शेर

panchatantra hindi
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एक गांव था जिसमें एक ग्वाला रहता था। ग्वाला के पास एक ईमानदार गायं थी जिसने हाल ही में एक बछड़े को जन्म दिया था। ग्वाला गायों को चरने के लिए गांव के एक पास एक मैदान में खुला छोड़ देता था।

गांव के पास ही एक जंगल था जिसमे एक शेर रहता था। एक दिन वे गाय मैदान में चरते-चरते जंगल तक पहुँच गयी। तभी जंगल में रहने वाला शेर वहां आ जाता है और जैसे शेर गाय पर हमला करने ही वाला था की गाय ने देख लिया और शेर को रुकने के लिए कहा।

शेर रुक गया और उसने शेर को कहा की उसका एक बच्चा है जो सिर्फ दूध पिता है। उसे अभी घांस भी नहीं कहानी अति और दुनिया दारी की भी समझ नहीं है। में वादा करती हूँ की में कल अपने बच्चे को कल सब इसी समय जाउंगी तब आप मुझे खा लेना। शेर पहले तो नहीं माना लेकिन उसने बाद में कहा ठीक है में मान जाता और देखता हूँ की इंसान के साथ रहने वाली गाय कितनी ईमानदार है। फिर गाय वापस जाकर अपने बच्चे को बहुत प्यार करती है और दूध पिलाकर उसको घांस खाना और दुनिया की समझ देती है।

अगले दिन शेर उस गाय कहा इंतजार कर रहा होता है। तभी उसकी नजर उस गाय पर पड़ती है और वह देखता है की गाय वापस लौट कर आ रही होती है। शेर मन ही मन सोचने लगता है, “यह गाय तो बहुत ईमानदार है सच्ची है यदि में इसको खा जाऊंगा तो मुझे बहुत पाप लगेगा” गायं जैसे ही उसके पास अति है की तुम अपनी जुबान की पक्की और ईमानदार हो, यदि में तुम्हे खा लूंगा तो मुझे बहुत पाप लगेगा इसलिए घर हो।

गायं ख़ुशी-खुशी अपने घर चली जाती है और उसे उसका ईमानदारी का इनाम भी मिल जाता है।

कहानी का उदेश्य : आप दुसरो के प्रति हमेसा ईमानदार रहे और दिया हुआ वादा समय पर पूरा करें।

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3. कछुआ और खरगोश

panchtantra hindi story
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दूर एक जंगल में एक खरगोश रहता था उसे अपने आप पर बहुत घमंड था। उसे अपनी फुर्ती और रफ्तार पर बहुत घमंड था।

उसी जंगल में एक कछुआ भी रहता था जो बहुत धीम और बूढ़ा था। खरगोश कछुए को बहुत परेशान करता था और उसकी धीमी रफ़्तार का मजाक उड़ाता था।

एक दिन खरगोश ने कछुए को दौड़ की चुनौती दी। और कहा जो उस पहाड़ी पर सबसे पहले पहुंचेगा वही विजेता होगा। दौड़ को देखने के लिए जंगल के सरे जानवर एकत्रित हो गए।

दौड़ शुरू होते ही खरगोश बहुत तेज़ी से लक्ष्य की ओर दौड़ना शुरू कर देता है। कछुआ अपनी एक समान धीमी चाल में चलता हुआ लक्ष्य की ओर निकल पड़ता है। अधीर दौड़ खत्म होने के बाद खरगोश थक कर रुक जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है तो उसे कछुआ दूर तक नजर नहीं आता। घमंडी गरगोश वहीं एक पेड़ के नीचे आराम करने लगता है और सो जाता है। कछुआ पानी धीमी चाल में चलता हुआ गरगोश से आगे निकल जाता है।

कुछ समय बाद जब खरगोश की नींद खुलती है तो वह दौड़ता हुआ लक्ष्य की ओर जाता है। वह देखता है की कछुआ लक्ष्य पर उससे पहले पहुँच गया और दौड़ जीत लेता है।

कहानी का उदेश्य : अपनी खूबियों पर घमंड नहीं करना चाहिए और सबकी मदद करनी चाहिए।

4. जादुई मेंढक और राजकुमारी

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एक राजा अपनी बेटी को उसके जन्मदिन पर एक सोने से चमकती गेंद उपहार में देता है। राजकुमारी को गोल्डन गेंद बहुत पसंद आई और तालाब के किनारे उस गेंद के साथ खेलने लगी।

एक दिन वह गोल्डन गेंद उस तालाब में गिर गई और राजकुमारी रोने लगी। तभी एक बोलने वाला मेंढ़क वह आता है और राजकुमारी से उसकी रोने की वजह पूछता है। वजह जानने के बाद राजकुमारी से गेंद लेन के बदले कुछ शर्त रखता है की वह एक दिन के लिए उसकी प्लेट में खाना खाएगा और उसके साथ मख़मल के बिसतर में सोएगा।

राजकुमारी झूठा वादा करती है और मेंढक तालाब में कूद जाता है और गोल्डन गेंद वापस लेकर आ जाता है। जैसे ही मेंढ़क गेंद लेकर आता है राजकुमारी अपना किया गया वादा तोड़कर महल में वापस चली जाती है। राजा और राजकुमारी जब रात्रि का भोजन करने के लिए बैठते है। तभी एक दासी राजा के पास आती है और कहती है, “महाराज एक बोलने वाला मेंढक आया है और बोल रहा है की राजकुमारी ने उसे भोजन पर बुलाया है।”

राजा राजकुमारी से सारा किस्सा सुनता है और राजकुमारी को डांटता है और कहता है, किया गया वादा निभाना चाहिए।

राजा मेंढक को पाने साथ भोजन पर बुलाता है और राजकुमारी के द्वारा किया गया वादा निभाता है। फिर वह राजकुमारी के साथ उसके मखमल के बिसतर पर सोता है। सुबह होते ही वह राजकुमारी से एक आखरी शर्त पूरी करने कोकहता है। मेंढ़क अपनी आखर इच्छा में राजकुमारी को उससे किश करने को कहता है। राजकुमारी इंकार करती है और मेंढक जोर जोर से रोने लगता है। उसे रोता देख वह मान गयी और मेंढक को किश कर देती है। मेंढक एक सुन्दर राजकुमार में बदल जाता है।

फिर राजकुमार उसे कहता है की उसे एक चुड़ैल ने श्राप दिया था और वह मेढक बन गया था।

कहानी का उद्येश्य : कभी भी दिया गया वादा नहीं तोडना चाहिए।

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5. घमंडी आम का पेड़

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एक किसान एक आम का पेड़ लगत है वह उसको रोज पानी देता और उसकी देख भाल करता। उसी के साथ में किसान ने एक नीम का पेड़ भी लगाया था।

किसान आम की बहुत देख भाल करता और उसे रोज समय पर पानी देता। दूसरी ओर किसान नीम के पेड़ को रोज पानी नहीं देता था। इसे देख आम का पेड़ अपने आप को खास और अनोखा समझने लगता है।

कुछ समय बाद दोनों पेड़ बड़े हो गए और आम के पेड़ पर मीठे और रसीले फल आने लगे और नीम के पेड़ पर कड़वा फल उगने लगे। यह देख आम का पेड़ और घमंड करने लगा और नीम के पेड़ को नीचा दिखाने की कोशिश करता। एक समय दोनों में बहुत ज्यादा कहा-सुनी हो गयी। आम का पेड़ अपना गुणगान गाने लगा और नीम का पेड़ अपना गुणगान गाने लगा। नीम ने कहा की उसके शरीर के सभी अंग औषधि बनाने के काम आते है। लेकिन आम का पेड़ घमंड के कारण उसकी बात नहीं सुनता और अपना गुणगान करता।

नीम और आम के बिच में एक बूढ़ा नारियल का पेड़ था जो उनकी बकवास सुनकर थक चूका था। जब दोनों में कहा-सुनी अधिक हो जाती है तो वह बोलता है की भगवन सबको अपनी खूबी देता है। फिर वह आम को समझाता है की अपनी काबिलियत बट कभी गुरुर नहीं करना चाहिए लेकिन आम उस नारियल के पेड़ को भी अनसुना करके अपने गुरुर में रहता है।

एक दिन आम के पेड़ की जड़ो में कीड़े लग जाते है और धीरे-धीरे आम के पेड़ की पत्तिया झड़ने लगती है। फिर कीड़ो को आम के पेड़ की जड़ से हटाने के लिए वह नीम के फल को पीस कर उसका घोल बना लेता है और उसको आम के पेड़ कि जड़ो में दाल देता है। कुछ समय बाद जड़ो से कीड़े हट जाते है और एक बार फिर आम के पेड़ पर पत्तियां और फल उगने लगते है। आम के पेड़ को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वह नीम के पेड़ से माफ़ी मांगता है।

कहानी का उद्येश्य : सभी अपने क्षेत्र में माहिर होते है और हमे किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।

Final Word : हमने आपके लिए एक ओर बेहतरीन top 5 panchatantra tales in hindi with moral प्रस्तुत किया है। हमे उम्मीद है बाकि सभी Moral stories की तरह यह भी आपको बहुत पसंद आएगी। यदि आपने हमारे पुराने पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो दिए गए इन लिंक पर क्लिक करें short stories in hindi for kids, best Hindi story for kids, Tenali raman stories in hindi