
यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ऑनलाइन कहानियां पढ़ के ज्ञान की बातें सीखें तो आप सही जगह है हम आपके लिए हिंदी कहानियां लेकर आते हैं। आज हम आज हम आपके लिये tenali raman stories in hindi लेकर आय है।
यह कहानियां बहुत ही इंटरेस्टिंग और लाजवाब है उन्हें पढ़कर बच्चे बहुत कुछ सीखेंगे और वह कहानियां पसंद भी करेंगे।
1. राज्य का सबसे बड़ा मूर्ख!

राजा कृष्णदेवराय को घोड़ों से बहुत लगाव था, राजा के पास कई नस्लों के घोड़ो का समूह था। एक दिन एक व्यापारी राजा के दरबार आया और राजा से कहा कि उसके पास अरब के सबसे सर्वश्रेष्ठ नस्ल का घोड़ा है और जिसे वह बेचना चाहता है।
उसने राजा को घोड़ों का मुआयना करने के लिए बुलाया। जैसा कि राजा घोड़ों से अधिक प्रेम करता था और वह घोड़ों के निरीक्षण के लिए मान गया। राजा को वह घोड़ा बहुत पसंद आया, व्यापारी ने राजा को दो ओर घोड़े बेचने का प्रस्ताव रखा। राजा ने तुरंत व्यापारी को 5000 सोने की मुद्रा दी और व्यापारी ने दो और अरब के बेहतरीन घोड़ों को दो दिन में देने का विशवास दिलाया।
उस व्यापारी का इंतजार करते हुए दो दिन दो हफ्ते में बदल गया और उस व्यापारी की कोई खबर नहीं मिली। एक दिन राजा बगीचे में टहलने गया और उसने देखा की तेनाली रामा एक छोटे से कागज पर कुछ लिख रहा था। जिज्ञासु राजा ने तेनाली रामा से पूछा, “यह तुम क्या लिख रहे हो?”
पंडित तेनाली रामा हिचकिचाने लगा, और पूछताछ के बाद तेनाली रामा ने बताया कि यह नामों की वह सूची थी जिस सूची में राजा कृष्णदेवराय का नाम सबसे ऊपर था। राजा ने पूछा तुमने इसमें मेरा नाम और अन्य लोगों का नाम क्यों लिख हुआ है। तेनाली रामा ने कहा, यह विजयनगर के कुछ सबसे बड़े मूर्खों की सूची है।
राजा गुस्से में पूछने लगा कि तुमने इसमें सबसे ऊपर मेरा ही नाम क्यों लिखा है? यह सपष्ट करो? तेनाली रामा ने घोड़े और उस व्यापारी का उदाहरण लेते हुए कहां कि किसी राजा के लिए यह विशवास करना बहुत बड़ी मूर्खता थी की कोई अनजान व्यापारी 5000 सोने की मुद्रा लेने के बाद वापस आएगा।
राजा ने पलटवार करते हुए तेनालीरामा से पूछा अगर वह व्यापारी वापस आ जाता तो? तेनाली ने कहा कि इस अवस्था में वह व्यापारी बड़ा मूर्ख होता और उसका नाम इस सूची में सबसे ऊपर होता। Read More : Tenali raman stories in hindi
कहानी का उद्देश्य : कभी किसी अजनबी पर आंख बंद करके विशवास नहीं करना चाहिए।
2. मुट्ठीभर अनाज और कुछ सिक्के!

विजयनगर साम्राज्य में एक बहुत ही अभिमानी महिला रहती थी। उसे अपनी बुद्धिमता और उपलब्धियों पर बहुत ही घमंड था। उसे अपनी प्रतिभा का दिखावा करना अधिक पसंद था। घर के बाहर उसने एक बोर्ड लगा दिया जिसमें लिखा था यदि उसे कोई भी उसकी बुद्धि और समझदारी को मात देगा तो वह उसे 1000 सोने की मुद्रा देगी।
कई विद्वानों ने उसे हराने का प्रयास किया परंतु वह उस महिला को हराने में नाकाम रहे। एक दिन वहां से एक जलाऊ लकड़ी बेचने वाला गुजर रहा था उसने वह बोर्ड देखा और उस महिला के दरवाजे पर जोर जोर से चिल्लाने लगा। महिला क्रोधित हो कर उसके पास गयी और सारी लकड़ी खरीदने का प्रस्ताव रखा।
लेकिन जलाऊ लकड़ी बेचने वाले ने कहा कि उसे इसके बदले “एक मुट्ठी भर आनाज” चाहिए। यदि मैं उसकी उस चुनौती को पूरा नहीं कर पाई तो उसे यह बोर्ड हटाना पड़ेगा और 1000 सोने की मुद्रा देनी पड़ेगी। महिला मान गई और उसने जलाऊ लकड़ी अपने घर के पिछवाड़े में रखने को कहा।
महिला उसकी एक मुट्ठी भर अनाज वाली चुनौती को पूरा ना कर पाई। दोनों में काफी अनबन होने के बाद वह अपनी समस्या राजा के पास लेकर गए। पहले महिला ने दोनों के बीच हुए सौदे को बताया। फिर उस जलाऊ लकड़ी बेचने वाले ने कहा कि मैंने महिला से एक अनाज का दाना मांगा था जिससे मेरी एक मुट्ठी भर जाए। जिस कार्य को करने में यह महिला विफल हुई। दोनों की दलीलें सुनने के बाद राजा ने जलाऊ लकड़ी बेचने वाले के पक्ष में फैसला सुनाया। महिला ने तभी पूछा के तुम एक साधारण जलाऊ लकड़ी वाला होकर भी मुझे कैसे मात दी?
वह अपने असली रूप में आया और पता लगा कि वह तेनाली रामा है उसने यह सारा खेल उस महिला को सबक सिखाने के लिए रचा था।
कहानी का उद्देश्य : अपने कौशल और ज्ञान को किसी की सहायता के लिए प्रयोग करें ना की उस पर घमंड।
3. खुशी के पल!

एक दिन तेनाली रामा और उसका दोस्त समुद्र के किनारे झूले पर लेटे हुए समुद्री हवाओं का आनंद ले रहे थे। वे एक खुशनुमा दिन था और दोनों मुस्कुरा रहे थे। अपने दोस्त को मुस्कुराता देख तेनाली रामा ने पुछा, “तुम किस कारण से मुस्कुरा रहे हो? उसके दोस्त ने कहा कि वह उस दिन के बारे में सोच रहा है जिस दिन वह वास्तव मे ख़ुश होगा।
तेनाली रामा ने अपने दोस्त से पूछा, “कब है वो दिन?” उसके दोस्त ने बताया कि जब वह एक आरामदायक जीवन व्यतीत करेगा और इस समुद्र के किनारे एक बड़ा घर, सुंदर पत्नी, और चार बेटे को शिक्षित करेगा और बहुत पैसा कमाएगा तो उस दिन वह खुशि महसूस करेगा।
इस भाषण को बाधित करते हुए, तेनाली ने पूछा?, “इसके बाद तुम क्या करोगे?” जिसके बाद उसका दोस्त बोलता है कि “वह आराम से झूले पर आकर लेट कर आनंद लेगा और मुस्कुराएगा। यह सुनकर तेनाली जोर जोर से ठहाका लगाने लगा और कहा,” यह तो तुम अभी भी कर रहे हो तो इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत है?
कहानी का उद्देश्य : खुशियों के सपने देखने से अच्छा हर पल में अपनी खुशियां ढूंढे।
4. शापित आदमी और राजा!

नारायण नाम का एक व्यक्ति विजयनगर में रहता था। गांव में एक अफवाह फैली की नारायण नाम के व्यक्ति को कोई सबसे पहले सुबह देखता है तो वह शापित हो जाता है और पूरे दिन भोजन नहीं कर पाता है। यह सुन राजा ने उसका परीक्षण करने का फैसला लिया।
राजा के मंत्री नारायण के रहने की व्यवस्था बगल वाले कमरे में करवाएं। अगले दिन सुबह नारायण के कमरे में जाकर सबसे पहले राजा ने उसका चेहरा देखा।
उसी दिन जब राजा दोपहर का भोजन करने के समय बैठा, राजा ने भोजन में मक्खी देखी और क्रोधित होके राजा ने नया दोपहर का भोजन तैयार करने के लिए कहा। जब तक दोपहर का भोजन त्यार होता तब तक राजा की भूक मर चुकी थी और राजा को भूख लगना बंद हो गए। राजा ने उस अफवाह को सच महसूस किया और अगले दिन सुबह नारायण को फांसी देने का निर्णय लिया जिससे कि उसकी पूरी प्रजा संकट में ना पड़े।
चिंतित होकर, नारायण की पत्नी तेनाली रामा के पास मदद के लिए जाती है क्योकि वह अपने पति को खोना नही चाहती थी। पूरी समस्या सुनने के बाद तेनाली रामा नारायण के कान में कुछ फुसफुसाता है, ठीक उसकी फांसी से पहले।
जब उसे फांसी पर चढ़ाया जा रहा था तो उससे उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई। तेनाली रामा के कहने पर उसने एक पत्र राजा को पढ़ने के लिए कहा। मंत्री वह चिट्ठी लेकर राजा के पास गया, पत्र में तेनालीरामा द्वारा कानाफूसी लिखि थी:- “पत्र में लिखा था अगर कोई नारायण का चेहरा देखे तो वह शापित हो जाता है और उसकी भूक मिट जाती है, लेकिन जब कोई राजा का चेहरा देखता है सुबह सबसे पहले तो उसकी जिंदगी खोना तय है।” यह पढ़ कर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने नारायण को आजाद कर दिया।
कहानी का उद्देश्य : अंधविश्वास न बने और अपनी समझ से निर्णय करें।
5. गधो को सलामी!

राजा के दरबार में एक बहुत ही बढ़ा कट्टरवादी पंडित अचार्य रहता था। वह जब भी किसी नीची जाति के लोगों को देखता तो अपना मुंह किसी कपड़े से ढक लेता।
इस व्यवहार के कारण राजा और अन्य दरबारी उससे बेहद परेशान थे और वह इस समस्या को लेकर तेनाली रामा के पास गए। आचार्य के बारे में सभी की शिकायतें सुनने के बाद तेनाली रामा उस आचार्य के पास गया। तेनाली ने देखा कि आचार्य ने तेनाली को देख कर अपने चेहरे को कपड़े से ढक लिया। जब तेनाली ने उनसे पूछा कि आप ऐसा क्यों करते हैं, तो आचार्य ने तेनाली रामा को समझाया कि जब भी वह किसी पापी या नीची जाति के लोगों का चेहरा देखते हैं तो इसका मतलब वह अगले जन्म में गधे के रूप में जन्म लेंगे।
तेनाली ने सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाएं और एक दिन तेनाली रामा, राजा, आचार्य और अन्य दरबारी जंगल मैं शिकार पर निकले। कुछ समय बाद तेनाली ने जंगल में कुछ गधों को देखा और उनके पास जाकर उन्हें प्रणाम करने लगा। हैरान राजा ने तेनाली रामा से पूछा कि यह तुम क्या कर रहे हो? “तुम गधे को क्यों प्रणाम कर रहे हो?”
तेनाली ने समझाया कि वह तथाचार्य के पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहा है जो नीची जाति को देखने के बाद गधे के रूप में जन्मे है।
आचार्य ने अपने इस कट्टर विचारों के लिए तेनाली रामा, राजा और अन्य दरबारियों से क्षमा मांगी, और फिर कभी अपने चेहरे को नहीं ढका।
कहानी का उद्देश्य : लोगों को उनकी जाति या धर्म के आधार पर कभी नहीं आंकना चाहिए।
Final words: For reading more tenali raman stories in hindi follow us and enjoy these best stories also read other stories and shayari and quotes.